Acharya Chanakya quotes in Hindi

1. अस्माकं देशः परदेशोऽपि नास्ति अपत्रभूतः अस्मिन् जीवने।
अर्थ: हमारा देश और वतन हमारे जीवन में कोई अपवित्रता नहीं होती है, चाहे वह हमारा देश हो या परदेश।
आचार्य चाणक्य
2. यथा राजा तथा प्रजा।
अर्थ: जैसा राजा, वैसी ही जनता होती है ।
आचार्य चाणक्य
3. जले न तृप्येत् तप्तानां वृक्षो न तृप्यति बाष्पितः।
अर्थ: जलते हुए व्यक्ति को संतोष नहीं मिलता है, वृक्ष को बारिश से संतोष नहीं मिलता है, बल्कि केवल वाष्प से ही मिलता है।
आचार्य चाणक्य
4. प्राणिनां अर्थे कुचेष्टा च शुद्धिः परमा उत्तमा।
अर्थ: प्राणियों के लिए केवल उनकी उच्चतम और श्रेष्ठतम शुद्धि ही कारगर होती है।
आचार्य चाणक्य
5. न स्वर्णलेपः सतीयस्य पार्थिवस्यैव राजति।
अर्थ: सत्य का संक्षेप वाक्यों में बहुत महत्त्व होता है, जिससे एक शासक की प्रशंसा होती है, और न कि सोने के लेप के द्वारा।
आचार्य चाणक्य
6. कार्यं निश्चयं परित्याग्य कार्यं विद्यान्ते मत्सराः।
अर्थ: जिन्होंने निश्चयपूर्वक किया हुआ कार्य त्याग दिया है, वे ईर्ष्या करने वाले हैं।
आचार्य चाणक्य

Admin

Post a Comment

Previous Post Next Post