नवयुग का संदेश: yugrishi's message

प्रज्ञायुग: दूरदर्शी विवेकशीलता का युग

दूरदर्शी विवेकशीलता का युग आ रहा है

हमने भविष्य की झांकी देखी है एवं बड़े शानदार युग के रूप में देखी है! हमारी कल्पना है कि आने वाला युग प्रज्ञा युग होगा! ‘प्रज्ञा’ अर्थात दूरदर्शी विवेकशीलता के पक्षधर व्यक्तियों का समुदाय! अभी जो परस्पर आपाधापी, लोभ-मोहवश संचय एवं परस्पर विलगाव की प्रवृत्ति नजर आती है, उसे आने वाले समय में अतीत की कड़वी स्मृति कहा जाएगा!

हर व्यक्ति स्वयं में एक आदर्श इकाई होगा एवं हर परिवार उससे मिलकर बना समाज का एक अवयव! सभी का चिंतन उच्चस्तरीय होगा! कोई अपनी अकेले की न सोचकर सारे समूह के हित की बात को प्रधानता देगा!

: पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

Gayatri Maa

प्रज्ञायुग: व्यक्ति समाज का एक अवयव

प्रज्ञायुग में हर व्यक्ति अपने आप को समाज का एक छोटा सा घटक मानकर चलेगा! निजी लाभ-हानि का विचार न करके विश्वहित में अपना हित जुड़ा रहने की बात सोचेगा! सबकी महत्वाकांक्षाएं एवं गतिविधियां लोकहित पर केन्द्रित रहेगी, न कि संकीर्ण स्वार्थपरता पर!

अहंकार को परब्रह्म में समर्पित कर अद्यात्मिक जीवन-मुक्ति का लक्ष्य अगले दिनों इस प्रकार क्रियान्वित होगा कि किसी को अपनी चिंता में दुबे रहने की, अपनी ही इच्छापूर्ति की, अपने परिवारजनों की प्रगति की न तो आवश्यकता अनुभव होगी और न चेष्टा चलेगी!

: पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

Gayatri Mantra Animation

हमारा लक्ष्य

प्रज्ञायुग में समाज का हर व्यक्ति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए, एक आदर्श समाज की स्थापना करेगा। निजी स्वार्थ के बजाय, हम सभी की एकता और समाज के कल्याण पर बल देंगे। यह युग न केवल मानसिक, बल्कि आत्मिक उन्नति का भी समय होगा।

अखण्ड ज्योति, जुलाई, १९८४, पृष्ठ- २७

2 Comments

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    Yoga cures cold

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