श्रीमद्भगवद्गीता प्रथम अध्याय प्रेरक श्लोक एवं अर्थ

अध्याय 1: अर्जुनविषादयोग

श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 1 के श्लोक 1 से 15 तक में महाभारत के युद्ध के प्रारम्भिक दृश्य वर्णित हैं। यह अध्याय कौरव-पाण्डव सेनाओं की व्यूहरचना और युद्ध की तैयारियों का वर्णन करता है। इस अध्याय में अर्जुन ने अपने युद्धभूमि पर खड़ा होकर अपने सारथी श्रीकृष्ण से विनती की है कि उन्हें अपने विरुद्ध लड़ने की इच्छा नहीं है। अध्याय 1 के श्लोक 1 से 15 तक के श्लोक और उनका अर्थ निम्नलिखित हैं

धृतराष्ट्र उवाच

धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः | मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय ||

अर्थ:

धृतराष्ट्र बोले: कुरुक्षेत्र में युद्ध के इच्छुक धर्मक्षेत्र में, शत्रुओं से भरा हुआ, मेरे और पाण्डुपुत्रों के बीच युद्ध का क्या परिणाम हुआ, सञ्जय!?
Dhritarashtra said: O Sanjaya, assembled in the holy land of Kurukshetra and desirous of battle, what did my sons and the sons of Pandu do?
गीता - अध्याय 1, श्लोक 1:
सञ्जय उवाच | दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा | आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत् ||
अर्थ: सञ्जय बोले: तब दुर्योधन ने पाण्डवों की सेना को व्यूह में व्यवस्थित देखकर आचार्य द्रोणाचार्य के पास गया और राजा ने इस प्रकार कहा।
Sanjaya said: O King, after observing the Pandava army arranged in military formation, King Duryodhana approached his teacher Drona and spoke the following words.
गीता- अध्याय 1, श्लोक 2:
पश्यैतां पाण्डुपुत्राणामाचार्य महतीं चमूम् | व्यूढां द्रुपदपुत्रेण तव शिष्येण धीमता ||
अर्थ: धृतराष्ट्र कहते हैं: हे आचार्य! द्रुपद के पुत्र धृष्टद्युम्नने तेरे बुद्धिमान शिष्य अर्जुन के द्वारा व्यूह में व्यवस्थित इस महान सेना को देखो।
O Teacher, this mighty army of the sons of Pandu, arranged in a military formation by your intelligent disciple, the son of Drupada, Dhrishtadyumna.
गीता- अध्याय 1, श्लोक 3:
अत्र शूरा महेष्वासा भीमार्जुनसमा युधि | युयुधानो विराटश्च द्रुपदश्च महारथः ||
अर्थ: यहां शूरवीर महारथी हैं, जैसे भीम और अर्जुन हैं, और इसके साथ युयुधान, विराट और महारथी द्रुपद भी हैं।
गीता- अध्याय 1, श्लोक 4:
धृष्टकेतुश्चेकितानः काशिराजश्च वीर्यवान् | पुरुजित्कुन्तिभोजश्च शैब्यश्च नरपुङ्गवः ||
अर्थ: इसके अलावा यहां धृष्टकेतु, चेकितान, काशीराज, वीर्यवान पुरुजित, कुन्तिभोज, शैब्य और नरपुङ्गव भी हैं।
गीता- अध्याय 1, श्लोक 5:
युधामन्युश्च विक्रान्त उत्तमौजाश्च वीर्यवान् | सौभद्रो द्रौपदेयाश्च सर्व एव महारथाः ||
अर्थ: इसके अतिरिक्त यहां युधामन्यु, वीर उत्तमौजा, सौभद्र और द्रौपदेय भी सभी महारथी हैं।
गीता- अध्याय 1, श्लोक 6:




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