शोधन प्राणायाम । Nadishodhan Pranayama Techniques, Benifits in hindi

 

नाड़ी शोधन प्राणायाम क्या है ? ( What is Nadishodhan Pranayama) - 

हठयोग के अनुसार -  नाड़ियों की शुद्धि कफ दोष आदि का निवारण करके प्राण का समुचित प्रवाह सुनिश्चित करने वाला विशेष अभ्यास है जिसे नाड़ी शोधन प्राणायाम के नाम से भी जाना जाता है ।

योगी व्यक्ति को चाहिए कि वह योग के उच्चतर अभ्यास से पूर्व 72000 नाड़ियों की शुद्धि हेतु नियमित नाडिशोधन प्राणायाम का अभ्यास करें। 

 नाड़ी शोधन प्राणायाम अभ्यास विधि (Techniques to practice Nadishodhan Pranayama) - 

  1. किसी भी ध्यानात्मक आसन जैसे - सुखासन, पद्मासन, वज्रासन आदि में से किसी एक उपयुक्त आसन में स्थिरता पूर्वक बैठ जाएं।
  2. तत्पश्चात दोनों हथेलियों को प्रणव मुद्रा में ले आए ।
  3. फिर सर्वप्रथम दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं नासिका को बंद कर बाएं नासिका से श्वास को अंदर ले ( पूरक करे) । ओर कुछ देर कुंभक करे ( श्वास को अंदर रोके रखे)।
  4. फिर दाएं हाथ के अनामिका अंगुली से बाएं नासिक को बंद करते हुए दाएं नासिका को खोलते  प्रश्वास को बाहर निकले ( रेचक करें) ।ओर कुछ देर बाह्य कुंभक करे ( श्वास को बाहर रोके रखे)।
  5. तपश्चात पुनः क्रम संख्या 3 के अभ्यास के अनुसार दाएं नासिका से पूरक करें।ओर कुछ देर कुंभक करे ( श्वास को अंदर रोके रखे)।
  6. तत्पश्चात क्रम संख्या 4 के अभ्यास अनुसार बाएं नासिका को खोलते  प्रश्वास को बाहर निकले ( रेचक करें) ।ओर कुछ देर बाह्य कुंभक करे ( श्वास को बाहर रोके रखे)।
  7. इसी क्रम को कम से कम 4 - 5 बार दोहराएं। 

नाड़ी शोधन प्रणायाम का लाभ (Benifits of Nadishodhan Pranayama) - 

  • नाड़ियों की शुद्धि होती है । कफ दोष आदि का शमन होता है । जिससे उससे संबधित होने वाले विकारों का नाश होता है।
  • मन शांत , स्थिर और एकाग्र चित होता है ।
  • दुश्चिंता , तनाव  आदि मानसिक विकारों में लाभकारी सिद्ध होता है।
  • नाड़ियों की शुद्धि होने से प्राण का समुचित प्रवाह होता है जिससे जीवनी शक्ति का विकास होता है ।
  • मन की चंचलता को नियंत्रित कर धारणा की चित्त को एकाग्र करने की क्षमता प्राप्त होती है । आदि।
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