भारत में मौजूद अनेको सामाजिक-धार्मिक बुराइयो को भारतियों एवं अंग्रेजो ने 19 वी शताब्दी में दूर करने के अनेको प्रयास किये | इस हेतु अनेक सुधारको ने समाज सुधार हेतु आन्दोलन चलाए |
प्रमुख सुधार आन्दोलन
- ब्रह्म समाज 20/08/1828 - राजाराम मोहन राय
- प्रार्थना समाज - By Aatmaram Paandurang 1867
- वेद समाज - १८६४ श्री धर्लू नायडू , दक्षिण के ब्रह्म समाज
- आर्य समाज - १८७५ में स्वामी दयानंद सरस्वती ने बम्बई में की , मुख्यालय लाहौर | गौरक्षिनी सभा , गौकरुनानिधि पुस्तक की रचना | पाखंड खंडिनी पताका |
- लाला हंसराज ने १८८६ में DAV कॉलेज लाहौर की स्थापना,
- स्वामी श्रद्धा नन्द ने मुंशीराम की सहायता से १९०२ में गुरुकुल कांगड़ी वि.वि. हरिद्वार की स्थापना |
- रामकृष्ण मिशन - १८९७ में स्वामी विवेकानन्द
- थियोसोफिकल सोसायटी - हेलना ब्लावात्सकी , हेनरी आल्काट | एनी बेसेंट
- यंग बंगाल आन्दोलन - हेनरी विवियन देरोजियो १८०९-३१
मुस्लिम सुधर आन्दोलन
- अलीगढ आन्दोलन - सर सैयद अहमद खान |
- अहमदिया आन्दोलन- मिर्जा गुलाम अहमद | पंजाब १८८९
- देवबंद आन्दोलन - मोहम्मद कासिम नानौत्वी | १८६६ शहारंपुर,उत्तर प्रदेश
पारसी सुधर आन्दोलन -
- नौरोजी फर्दों, दादा भाई नौरोजी , एस.एस बंगाली |१८५१
सीखो में सुधार आन्दोलन -दयालदास (अग्रदूत )
- नामधारी आन्दोलन -रामसिंह १८१५
दलित जातियों का आन्दोलन
- सत्यशोधक समाज - ज्योतिराव गोविन्द राव फुले १८२७-९० | पुस्तक-गुलामगिरी,सार्वजानिक सत्य धर्म |१८८८ के बाद महात्मा संबोधन
- केरल में दलितों को मंदिर में प्रवेश करने के लिय नारायण गुरु ९१८५४-१९२८)
- अखिल भारतीय दलित वर्ग संघ - बी.आर आंबेडकर
- अखिल भारतीय अस्प्रिस्यता निवारण संघ१९३२ ( हरिजन सेवक संघ१९३३ )- महात्मा गांधी
प्रमुख सामाजिक सुधार
- सती प्रथा- राजा राम मोहन राय के प्रयासों से लार्ड विलियन बैंटिक ४,दिसंबर १८२९ को १७ नियम के तहत बंगाल में रोक लगा दी १८३० में मुंबई, मद्रास एवं अन्य क्षेत्रो में भी रोक |
- बालविवाह - राजा राम मोहन राय ,केशव चन्द्र सेन १८ वर्ष बालक एव १४ वर्ष से कम बालिका के विवाह निषेध |
- विधवा पुनर्विवाह - ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के प्रयसो से लार्ड केनिन के समय १८५६ में हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनिओयम -१५ पारित किया गया |
- बाल हत्या प्रथा - राजपूत और बंगाल में प्रचलित इस कुप्रथा का १७९५ में बंगाल नियम -२१ और १८०४ में नियम -३ के तहत रोक |
- दास प्रथा - १७८९ में दासो के निर्यातों पर रोक |१८३३ के चार्टर एक्ट द्वारा दासता पर पूर्ण प्रतिबन्ध |१८४३ में सम्पूर्ण भारत में लागु |१८६० में दासता को अपराध घोषित किया गया |